एक काले दिन के बाद मैं हाइडन* की धुन बजाता हूँ
और मेरी हथेलियाँ गुनगुनी हो जाती हैं।
चाबियाँ दबना चाहती हैं। नाज़ुक हथौड़े गिरते हैं।
अनुनाद हरा, सजीव और शांत है।
संगीत कहता है कि आजादी का अस्तित्व है
और एक व्यक्ति शहंशाह का कर अदा करने से इनकार कर देता है।
मैं अपने हाथ अपनी हाइडनजेबों** के भीतर डालता
हूँ
और शांति से दुनिया देखने वाला आदमी होने का नाटक करता हूँ।
मैं हाइडनझंडा** लहराता हूँ जो
कहता है
हम आत्मसमर्पण नहीं करेंगे मगर हमें शांति चाहिए।
संगीत ढलान पर बना शीशे का घर है
जहाँ पत्थर उड़ते हैं, पत्थर लुढ़कते हैं
और पत्थर आर पार निकल जाते हैं
लेकिन एक भी शीशा नहीं टूटता।
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*आस्ट्रिया के एक संगीतकार जिन्हें सिम्फनी और
स्ट्रिंग क्वार्टेट का पिता कहा जाता है। टॉमस ट्रांसटोमर एक अच्छे पियानो प्लेयर भी हैं।
**टोमास ट्रांसट्रोमर द्वारा प्रयोग किए गए शब्द
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मूल कविता निम्नवत है।
Allegro
Jag spelar Haydn efter en svart dag
och känner en enkel värme i händerna.
Tangenterna vill. Milda hammare slår.
Klangen är grön, livlig och stilla.
Klangen säger att friheten finns
och att någon inte ger kejsaren skatt.
Jag kör ner händerna i mina haydnfickor
och härmar en som ser lugnt på världen.
Jag hissar haydnflaggan – det betyder:
»Vi ger oss inte. Men vill fred.«
Musiken är ett glashus på sluttningen
där stenarna flyger, stenarna rullar.
Och stenarna rullar tvärs igenom
men varje ruta förblir hel.