बह्र
: २२१ २१२१ १२२१ २१२
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सत्ता
की गर हो चाह तो दंगा कराइये
बनना
हो बादशाह तो दंगा कराइये
करवा
के कत्ल-ए-आम बुझा कर लहू से प्यास
रहना
हो बेगुनाह तो दंगा कराइये
कितना
चलेगा धर्म का मुद्दा चुनाव में
पानी
हो इसकी थाह तो दंगा कराइये
चलते
हैं सर झुका के जो उनकी जरा भी गर
उठने
लगे निगाह तो दंगा कराइये
प्रियदर्शिनी
करें तो उन्हें राजपाट दें
रधिया
करे निकाह तो दंगा कराइये
मज़हब
की रौशनी में व शासन की छाँव में
करना
हो कुछ सियाह तो दंगा कराइये