बह्र : २१२२
११२२ ११२२ २२
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धर्म
की है ये दुकाँ आग लगा देते हैं
सिर्फ़
कचरा है यहाँ आग लगा देते हैं
कौम
उनकी ही जहाँ में है सभी से बेहतर
जिन्हें
होता है गुमाँ आग लगा देते हैं
एक
दूजे से उलझते हैं शजर जब वन में
हो
भले खुद का मकाँ आग लगा देते हैं
नाम
नेता है मगर काम है माचिस वाला
खोलते
जब भी जुबाँ आग लगा देते हैं
हुस्न
वालों की न पूछो ये समंदर में भी
तैरते
हैं तो वहाँ आग लगा देते हैं
आप ‘सज्जन’
हैं मियाँ या कोई चकमक पत्थर
जब
भी होते हैं रवाँ आग लगा देते हैं