बह्र : मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन (1222 1222 122)
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न ऐसे देख बेचारा नहीं हूँ
थका तो हूँ मगर हारा नहीं हूँ
चमक मुझमें है पर गर्मी नहीं है
मैं इक जुगनू हूँ अंगारा नहीं हूँ
यकीनन संगदिल भी काट दूँगा
तो क्या जो बूँद हूँ धारा नहीं हूँ
सभी को साथ लेकर क्यूँ मिटूँगा?
मैं शबनम हूँ कोई तारा नहीं हूँ
हवा भरना तुम्हारा बेअसर है
मैं इक रोटी हूँ गुब्बारा नहीं हूँ
मेरी हर बात को अंतिम न मानो
मैं पूरा हूँ मगर सारा नहीं हूँ
कभी मैं रह न पाऊँगा महल में
मैं इक झरना हूँ फव्वारा नहीं हूँ
कभी मुझमें उतरकर देख लेना
समंदर हूँ मगर खारा नहीं हूँ