बह्र
:
1212 1212 112
न
दोष कुछ तेरी कटार का है
मुझे
ही शौक आर पार का है
बिना
गुनाह रब के पास गया
कुसूर
ये ही मेरे यार का है
मुझे
जहान या ख़ुदा का नहीं
लिहाज
है तो तेरे प्यार का है
क्यूँ
रब की चीज पे गुरूर करे
तेरा
हसीं बदन उधार का है
लो
नौकरों ने देश लूट लिया
कुसूर
मालिकों के प्यार का है