हम चाहते हैं स्वस्थ शरीर
मगर हम नहीं समझना चाहते
शरीर की आंतरिक संरचना
आंतरिक अंगों की कार्यप्रणाली
शारीरिक रसायनों का विज्ञान
हम चाहते हैं केवल खुशबूदार साबुन से नहाना
शरीर को तरह तरह से सजाना
और ऊपर से इत्र छिड़ककर
ये मान लेना
कि बाकी सब ऊपर वाले के हाथ में है
हम चाहते हैं स्वस्थ समाज
मगर हम नहीं समझना चाहते
व्यक्ति और समूह का मनोविज्ञान
हम नहीं जानना चाहते
कि कैसे पूरी होंगी
हर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएँ
रोटी, कपड़ा, मकान और प्रेम
हम जानते हैं नियम और कानून बनाना
और ये मान लेना
कि सभी लोग हर हाल में
नियम और कानूनों का पालन करेंगे
हम चाहते हैं सर्वज्ञ होना
परमसत्य का ज्ञान पाना
मगर हम नहीं समझना चाहते
क्वांटम यांत्रिकी
श्रोडिंगर की समीकरणें
अनिश्चितता का सिद्धांत
पदार्थ की द्वैती प्रकृति
विशिष्ट और सामान्य सापेक्षिकता
और ये मान लेते हैं कि ऊपर वाले ने
इस वस्तु को ऐसा ही बनाया होगा
हम चाहते हैं अमर होना
मगर हम नहीं मानना चाहते
कि केवल
गतिशील रहने को
अपने जैसे प्रतिरूप बना देने को
तंत्रिका तंत्र में सूचनाएँ भर देने को
सूचनाओं के विश्लेषण की क्षमता रखने को
नहीं कहते जिंदा रहना
क्योंकि ये सब तो यंत्र भी कर लेते हैं
और हम ये मान लेते हैं
कि जीवन मृत्यु तो ऊपर वाले के हाथ में है
हम नहीं समझना चाहते
इतनी छोटी सी बात
कि अगर ऊपर वाले को सब कुछ
अपनी इच्छा से ही करना होता
हर बात में अपना दखल ही रखना होता
इंसानों के मन में अपने प्रति अगाध श्रद्धा ही देखनी होती
सदा सर्वदा अपनी पूजा ही करवानी होती
तो उसने इंसान के जेहन में
कभी ये प्रश्न पैदा ही न होने दिया होता
कि “ऐसा क्यों होता है?”