हरी आधी रात को उत्तर दिशा में जहाँ तक बुलबुल की आवाज़ जाती है भारी पत्ते मदहोशी में झूमते हैं, बहरी कारें नियान-लाइन की ओर दौड़ती हैं। बुलबुल की आवाज़ बिना काँपे गूँजती है। यह मुर्गे की बाँग जितनी मर्दभेदी है फिर भी खूबसूरत और घमंड से मुक्त है। जब मैं जेल में था ये मुझे देखने आई। तब मैंने ध्यान नहीं दिया था लेकिन अब दे रहा हूँ। समय सूर्य और चन्द्रमा से नीचे बह बहकर सभी टिक टिक करती धड़ियों को धन्यवाद देता है। लेकिन यहाँ आकर समय का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। केवल बुलबुल की आवाज़ है जिसके कच्चे स्वरों की झनकार रात में आसमान के चमकते हँसिये पर धार लगा रही है।
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मूल कविता निम्नवत है।
Näktergalen i Badelunda
I den gröna midnatten vid näktergalens nordgräns. Tunga löv hänger i trance, de döva bilarna rusar mot neonlinjen. Näktergalens röst stiger inte åt sidan, den är lika genomträngande som en tupps galande, men skön och utan fåfänga. Jag var i fängelse och den besökte mig. Jag var sjuk och den besökte mig. Jag märkte den inte då, men nu. Tiden strömmar ned från solen och månen och in i alla tick tack tick tacksamma klockor. Men just här finns ingen tid. Bara näktergalens röst, de råa klingande tonerna som slipar natthimlens ljusa lie.
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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बुधवार, 20 अगस्त 2014
सोमवार, 18 अगस्त 2014
अनुवाद : टोमास ट्रांसट्रोमर की कविता ‘खुले और बंद कमरे’
आदमी दुनिया को अपने काम के दस्ताने से महसूस करता है
मध्याह्न में वो थोड़ी देर
के लिए आराम करता है
अपने दस्तानों को ताक पर
रखकर
जहाँ वो अचानक बड़े होकर
फैलने लगते हैं
और पूरे घर को भीतर से अंधकारमय
कर देते हैं
अंधकारमय घर वसंत की बयार
के बीच बीच में पड़ते हैं
‘आम माफ़ी’ घास फुसफुसाती है
‘आम माफ़ी’
एक लड़का पूरी ताकत से दौड़ता
है उस अदृश्य रस्सी पर जो झुकी है
आकाश की ओर
जहाँ उसके भविष्य का सुनहरा
स्पप्न उड़ रहा है एक पतंग की तरह
जो किसी कस्बे से भी बड़ी है
और उत्तर दिशा में ऊँचाई से
आप देख सकते हैं अंतहीन नीला
मुलायम लकड़ी का कालीन
जहाँ बादलों की छाँव
स्थिर है
नहीं, आगे बढ़ रही है
------------मूल कविता निम्नवत है।
Öppna och slutna rum
En man känner på världen med yrket som en handske.
Han vilar en stund mitt på dagen och har lagt ifrån sig
handskarna på hyllan.
Där växer de plötsligt, breder ut sig
och mörklägger hela huset inifrån.
Det mörklagda huset är mitt ute bland vårvindarna.
»Amnesti« går viskningen i gräset: »amnesti«.
En pojke springer med en osynlig lina som går snett
upp i himlen
där hans vilda dröm om framtiden flyger som en drake
större än förstaden. Längre norrut ser man från en höjd den blå oändliga
barrskogsmattan
där molnskuggorna
står stilla.
Nej, flyger fram.
शनिवार, 16 अगस्त 2014
अनुवाद : टोमास ट्रांसट्रोमर की कविता ‘दबाव में’
नीले स्वर्ग के इंजनों की गड़गड़ाहट बहुत तेज है
हम काँपती हुई ज़मीन पर मौजूद हैं
जहाँ समुद्र अचानक गहरा हो जाता है -
सीपियाँ और टेलीफोन हवा की आवाज़ सुनाते हैं
सौंदर्य को बस एक दिशा से जल्दबाजी में देखा जा सकता है
खेत में सघन मक्का, एक पीली धारा में अनेक रंग
मेरे दिमाग में मौजूद बेचैन साये इसी जगह उकेरे जाते हैं
जो मक्के में रेंगकर सोना बन जाना चाहते हैं
अंधेरा हो जाता है। मैं आधी रात में सोने जाता हूँ
बड़ी नाव से छोटी नाव बाहर निकलती है
पानी पर आप अकेले हैं
समाज का काला पेंदा धीरे धीरे दूर होता जा रहा है
Under tryck
Den blå himlens motordån är starkt.
Vi är närvarande på en arbetsplats i darrning,
där havsdjupet plötsligt kan uppenbara sig –
snäckor och telefoner susar.
Det sköna hinner man bara se hastigt från sidan.
Den täta säden på åkern, många färger i en gul ström.
De oroliga skuggorna i mitt huvud dras dit.
De vill krypa in i säden och förvandlas till guld.
Mörkret faller. Vid midnatt går jag till sängs.
Den mindre båten sätts ut från den större båten.
Man är ensam på vattnet.
Samhällets mörka skrov driver allt längre bort.
हम काँपती हुई ज़मीन पर मौजूद हैं
जहाँ समुद्र अचानक गहरा हो जाता है -
सीपियाँ और टेलीफोन हवा की आवाज़ सुनाते हैं
सौंदर्य को बस एक दिशा से जल्दबाजी में देखा जा सकता है
खेत में सघन मक्का, एक पीली धारा में अनेक रंग
मेरे दिमाग में मौजूद बेचैन साये इसी जगह उकेरे जाते हैं
जो मक्के में रेंगकर सोना बन जाना चाहते हैं
अंधेरा हो जाता है। मैं आधी रात में सोने जाता हूँ
बड़ी नाव से छोटी नाव बाहर निकलती है
पानी पर आप अकेले हैं
समाज का काला पेंदा धीरे धीरे दूर होता जा रहा है
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मूल कविता निम्नवत है।
Under tryck
Den blå himlens motordån är starkt.
Vi är närvarande på en arbetsplats i darrning,
där havsdjupet plötsligt kan uppenbara sig –
snäckor och telefoner susar.
Det sköna hinner man bara se hastigt från sidan.
Den täta säden på åkern, många färger i en gul ström.
De oroliga skuggorna i mitt huvud dras dit.
De vill krypa in i säden och förvandlas till guld.
Mörkret faller. Vid midnatt går jag till sängs.
Den mindre båten sätts ut från den större båten.
Man är ensam på vattnet.
Samhällets mörka skrov driver allt längre bort.
बुधवार, 13 अगस्त 2014
अनुवाद : टोमास ट्रांसट्रोमर की कविता ‘अधबना स्वर्ग’
निराशा और चिन्ता अपना अपना काम छोड़ देती हैं
गिद्ध अपनी उड़ान छोड़ देता है
गिद्ध अपनी उड़ान छोड़ देता है
आतुर प्रकाश बह निकलता है
प्रेत भी एक घूँट पी लेते हैं
और दिन में हमारे चित्रों में मौजूद
हिमयुगीन स्टूडियो के हमारे लाल जानवर
हर चीज अपने आसपास देखना शुरू करती है
हम सैकड़ों बार धूप में जाते हैं
हर आदमी अधखुला दरवाजा है
जो हर आदमी को उसके लिए बने एक कमरे में ले जाता है
हम सैकड़ों बार धूप में जाते हैं
हर आदमी अधखुला दरवाजा है
जो हर आदमी को उसके लिए बने एक कमरे में ले जाता है
हमारे पैरों के नीचे अनंत तक फैला मैदान है
झील पृथ्वी में एक खिड़की है
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मूल कविता निम्नवत है।
Den halvfärdiga himlen
Modlösheten avbryter sitt lopp.
Ångesten avbryter sitt lopp.
Gamen avbryter sin flykt.
Det ivriga ljuset rinner fram,
även spökena tar sig en klunk.
Och våra målningar kommer i dagen,
våra istidsateljéers röda djur.
Allting börjar se sig omkring.
Vi går i solen hundratals.
Var människa en halvöppen dörr
som leder till ett rum för alla.
Den oändliga marken under oss.
Vattnet lyser mellan träden.
Insjön är ett fönster mot jorden.
गुरुवार, 7 अगस्त 2014
अनुवाद : टोमास ट्रांसट्रोमर की कविता ‘तेज़ मीठी धुन’
एक काले दिन के बाद मैं हाइडन* की धुन बजाता हूँ
और मेरी हथेलियाँ गुनगुनी हो जाती हैं।
चाबियाँ दबना चाहती हैं। नाज़ुक हथौड़े गिरते हैं।
अनुनाद हरा, सजीव और शांत है।
संगीत कहता है कि आजादी का अस्तित्व है
और एक व्यक्ति शहंशाह का कर अदा करने से इनकार कर देता है।
मैं अपने हाथ अपनी हाइडनजेबों** के भीतर डालता
हूँ
और शांति से दुनिया देखने वाला आदमी होने का नाटक करता हूँ।
मैं हाइडनझंडा** लहराता हूँ जो
कहता है
हम आत्मसमर्पण नहीं करेंगे मगर हमें शांति चाहिए।
संगीत ढलान पर बना शीशे का घर है
जहाँ पत्थर उड़ते हैं, पत्थर लुढ़कते हैं
और पत्थर आर पार निकल जाते हैं
लेकिन एक भी शीशा नहीं टूटता।
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*आस्ट्रिया के एक संगीतकार जिन्हें सिम्फनी और
स्ट्रिंग क्वार्टेट का पिता कहा जाता है। टॉमस ट्रांसटोमर एक अच्छे पियानो प्लेयर भी हैं।
**टोमास ट्रांसट्रोमर द्वारा प्रयोग किए गए शब्द
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मूल कविता निम्नवत है।
Allegro
Jag spelar Haydn efter en svart dag
och känner en enkel värme i händerna.
Tangenterna vill. Milda hammare slår.
Klangen är grön, livlig och stilla.
Klangen säger att friheten finns
och att någon inte ger kejsaren skatt.
Jag kör ner händerna i mina haydnfickor
och härmar en som ser lugnt på världen.
Jag hissar haydnflaggan – det betyder:
»Vi ger oss inte. Men vill fred.«
Musiken är ett glashus på sluttningen
där stenarna flyger, stenarna rullar.
Och stenarna rullar tvärs igenom
men varje ruta förblir hel.
शनिवार, 25 जनवरी 2014
अनुवाद : ‘रीडिंग जेल का गाथागीत’ नामक कविता का अंश - आस्कर वाइल्ड
आज
पढ़िये आस्कर वाइल्ड की लम्बी
कविता के एक अंश का छंदानुवाद
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उसे
पड़ेगा मरना जिसने कत्ल कर दिया
अपना प्यार
फिर
भी सब ऐसा करते हैं,
सब
सुन लें यह बारंबार
कुछ
आँखें तरेर कर,
कुछ
मीठे शब्दों से करें प्रहार
कायर
करते हैं चुम्बन से और बहादुर
ले तलवार
कुछ
यौवन में कत्ल करें तो कुछ
बूढ़े होकर लें जान
काम
वासना के हाथों कुछ,
कुछ
लालच का कहना मान
जो
दयालु हैं वो खंजर से प्रेम
को करें मृत्यु प्रदान
वरना
जल्दी ठंडे होकर मुर्दे होते
बर्फ़ समान
कुछ
का क्षण भर ही चलता है कुछ का
लम्बा चलता प्यार
बेच
रहे हैं कुछ तो कुछ ने मोल लिया
जाकर बाजार
कुछ
करते हैं बिना शिकन,
कुछ
रो रोकर करते हैं वार
सब
करते हैं प्रेम कत्ल पर मौत
न आती सबके द्वार
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The
man had killed the thing he loved
And
so he had to die.
Yet
each man kills the thing he loves
By
each let this be heard,
Some
do it with a bitter look,
Some
with a flattering word,
The
coward does it with a kiss,
The
brave man with a sword!
Some
kill their love when they are young,
And
some when they are old;
Some
strangle with the hands of Lust,
Some
with the hands of Gold:
The
kindest use a knife, because
The
dead so soon grow cold.
Some
love too little, some too long,
Some
sell, and others buy;
Some
do the deed with many tears,
And
some without a sigh:
For
each man kills the thing he loves,
Yet
each man does not die.
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