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रविवार, 26 मार्च 2023

ग़ज़ल: कौन बताए बेचारी को पगली तू ख़तरे में है


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जनता समझ रही बस पूँजी का जादू ख़तरे में है
कौन बताए बेचारी को पगली तू ख़तरे में है

मालिक निकला चोर उचक्का दुनिया ने मुँह पर थूका
नौकर बोल रहा मेरा सोना बाबू ख़तरे में है

बेच दिया उपवन माली ने कब का अब तो ये लगता
बंधन में हैं फूल और उनकी ख़ुश्बू ख़तरे में है

झेल रहे इस कदर प्रदूषण मिट्टी, पानी और हवा
खतरे में हैं सारे मुस्लिम हर हिन्दू खतरे में है

इनके बिन सारी दुनिया सचमुच नीरस हो जाएगी
भाईचारा, प्यार, वफ़ा इनका जादू ख़तरे में है

बोझ उठाकर पूंजी सत्ता का बेचारा वृद्ध हुआ
मारा जाएगा `सज्जन’ अब तो टट्टू ख़तरे में है

बुधवार, 1 मार्च 2023

घटना: प्रिय कवि से मुलाकात

 



आज प्रिय कवि एवं परम प्रिय मित्र गीत चतुर्वेदी से पुस्तक मेले में हिन्द युग्म के स्टाल पर भेंट हुई। गीत चतुर्वेदी उन चार व्यक्तियों में से एक हैं जिन्हें मैंने अपना उपन्यास समर्पित किया है। आज उन्हें अपने उपन्यास की प्रति भेंट की एवं काफी देर उनसे बातचीत हुई।