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सोमवार, 14 नवंबर 2022

ग़ज़ल: या बिन लादेन होता है या आसाराम होता है

बह्र : 1222 1222 1222 1222


या बिन लादेन होता है या आसाराम होता है
सभी धर्मों का आख़िर में यही अंजाम होता है


बचा लो संस्कृति अपनी बचा लो सभ्यता अपनी
सदा आतंकवादी का यही पैगाम होता है


है ये दुनिया उसी की झूट जो बोले सलीके से
यहाँ सच बोलने वाला सदा नाकाम होता है


जहाँ जो धर्म बहुसंख्यक वहीं क्यों है वो ख़तरे में
यहूदी, बौद्ध, हिन्दू तो कहीं इस्लाम होता है


जिसे पकड़ा गया हो बस वही बदनाम है ‘सज्जन’
वगरना कौन धर्मात्मा यहाँ निष्काम होता है

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