बड़ा जादुई है तेरा साथ हमदम
हुये जिस्म उरियाँ तो ठंडक हुई कम
समंदर कभी भर सका है न जैसे
मिले प्यार कितना भी लगता सदा कम
ये सूरत, ये मेधा, ये बातें, अदाएँ
कहीं बुद्ध से बन न जाऊँ मैं गौतम
कुहासे को क्या छू दिया तूने लब से
यहाँ सर्दियों का गुलाबी है मौसम
मुबाइल मुहब्बत का इसको थमा दे
मेरे दिल का बच्चा मचाता है ऊधम