कब तक ऐसे राज करेगा तेरी ऐसी की तैसी
तू केवल पूँजी का चमचा तेरी ऐसी की तैसी
पाँच साल होने को हैं अब घर घर जाकर देखेगा
करती है कैसे ये जनता तेरी ऐसी की तैसी
खाता भर भर देने का वादा करने वाले तूने
खा डाला जो खाते में था तेरी ऐसी की तैसी
बापू का नाखून नहीं तू गप्पू भी सबसे घटिया
बनता है बापू के जैसा तेरी ऐसी की तैसी
कई पीढ़ियों तक ये सबको नफ़रत के फल बाँटेगा
तूने रोपा है जो पौधा तेरी ऐसी की तैसी
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।