बिना तुम्हारे
हे मेरी तुम
सब आधा है
सूरज आधा, चाँद अधूरा
आधे हैं ग्रह सारे
दिन हैं आधे, रातें आधी
आधे हैं सब तारे
धरती आधी
सृष्टि अधूरी
रब आधा है
आधा नगर, डगर है आधी
आधे हैं घर, आँगन
कलम अधूरी, आधा काग़ज़
आधा मेरा तन-मन
भाव अधूरे
कविता का
मतलब आधा है
फागुन आधा, मधुऋतु आधी
आया आधा सावन
आधी साँसें, आधा है दिल
आधी है घर धड़कन
जीवन आधा
पर मेरा दुख
कब आधा है?
धर्मेन्द्र जी, बहुत ही प्यार भरी रचना.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंइस रचना को पढ़कर प्यार का अहसास होता हैं
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिल्पा जी
हटाएं👌👌
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