बह्र : ११२१ २१२२ ११२१ २१२२
जो करा रहा है पूजा बस उसी का फ़ायदा है
न यहाँ तेरा भला है न वहाँ तेरा भला है
अभी तक तो आइना सब को दिखा रहा था सच ही
लगा अंडबंड बकने ये स्वयं से जब मिला है
न कोई पहुँच सका है किसी एक राह पर चल
वही सच तलक है पहुँचा जो सभी पे चल सका है
इसी भोर में परीक्षा मेरी ज़िंदगी की होगी
सो सनम ये जिस्म तेरा मैंने रात भर पढ़ा है
यदि ब्लैकहोल को हम न गिनें तो इस जगत में
वो लगा लुटाने फ़ौरन यहाँ जब भी जो भरा है
चलो अब तो हम भी चलकर उसे बेक़ुसूर कह दें
वो भरी सभा में रोकर सभी को दिखा रहा है
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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"जो करा रहा है पूजा बस उसी का फ़ायदा है" गझल लाजवाब.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिल्पा जी
हटाएंसज्जन धर्मेन्द्र जी, आपकी लिखी ये गझल बड़ी सुंदर ऑर अर्थ से भरी हैं.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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