बह्र : 2122 2122 2122 212
आदमी की ज़िन्दगी है दफ़्तरों के हाथ में
और दफ़्तर जा फँसे हैं अजगरों के हाथ में
आइना जब से लगा है पत्थरों के हाथ में
प्रश्न सारे खेलते हैं उत्तरों के हाथ में
जोड़ लूँ रिश्तों के धागे रब मुझे भी बख़्श दे
वो कला तूने जो दी है बुनकरों के हाथ में
छोड़िये कपड़े, बदन पर बच न पायेगी त्वचा
उस्तरा हमने दिया है बंदरों के हाथ में
ख़ून पीना है ज़रूरत मैं तो ये भी मान लूँ
पर हज़ारों वायरस हैं मच्छरों के हाथ में
काट दो जो हैं असहमत शोर है चारों तरफ
आदमी अब आ गया है ख़ंजरों के हाथ में
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ओंकार जी
हटाएंबढिया गझल
जवाब देंहटाएंशुक्रिया gyanipandit जी
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