तुम मुझसे मिलने जरूर आओगी
जैसे धरती से मिलने आती है बारिश
जैसे सागर से मिलने आती है नदी
मिलकर मुझमें खो जाओगी
जैसे धरती में खो जाती है बारिश
जैसे सागर में खो जाती है नदी
मैं हमेशा अपनी बाहें फैलाये तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा
जैसे धरती करती है बारिश की
जैसे सागर करता है नदी की
तुमको मेरे पास आने से
कोई ताकत नहीं रोक पाएगी
जैसे अपनी तमाम ताकत और कोशिशों के बावज़ूद
सूरज नहीं रोक पाता अपनी किरणों को
आत्मविश्वास की जीत होती है ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
लो कविता ने सुन ली
बहुत बहुत शुक्रिया कविता जी :)
हटाएंये प्रेम है या कोई बंधन पर उनको आना है ज़रूर ... अच्छी रचना है ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नासवा जी
हटाएंविश्वास और प्यार की ताकत का कोई मोल नहीं
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जनाब
हटाएंSahi Baat, self confidence bahut jaruri hain
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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