बह्र : २१२२ १२१२ २२
बन के मीठी सुवास रहती है
वो मेरे आसपास रहती है
उसके होंठों में झील है मीठी
मेरे होंठों में प्यास रहती है
आँख ने आँख में दवा डाली
अब जुबाँ पर मिठास रहती है
मेरी यादों के मैकदे में वो
खो के होश-ओ-हवास रहती है
मेरे दिल में न झाँकिये साहिब
वो यहाँ बेलिबास रहती है
वाह ... गज़ब के शेर ... मीठी झील और प्यास ... गज़ब सर ... लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया नास्वा जी
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंThis a superb post..............!!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जनाब
हटाएं"वो यहाँ बेलिबास रहती है" लाजवाब गझल
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबेहतरीन है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंअति सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंअत्यंत सुंदर ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंbehtareen nagma!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंवाह अति उत्तम
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