बह्र : 1212 1122 1212 22
जहाँ में पाप जो पर्वत समान करते हैं
वो मंदिरों में सदा गुप्तदान करते हैं
लहू व अश्क़, पसीने को धान करते हैं
हमारे वास्ते क्या क्या किसान करते हैं
कभी मिली ही नहीं उन को मुहब्बत सच्ची
जो अपने हुस्न पे ज़्यादा गुमान करते हैं
गरीब अमीर को देखे तो देवता समझे
यही है काम जो पुष्पक विमान करते हैं
जो मंदिरों में दिया काम आ सका किसके?
नमन उन्हें जो सदा रक्तदान करते हैं
बहोत ही लाजवाब गजल
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंवाह ... लाजवाब मतला ही कमाल का है जो ग़ज़ल की भूमिका बाँध रहा है ... हर शेर कमाल का ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद नास्वा जी
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