पृष्ठ

रविवार, 27 मार्च 2016

ग़ज़ल : इससे अच्छा है मर जाना

बह्र : २२ २२ २२ २२

जीवन भर ख़ुद को दुहराना
इससे अच्छा है मर जाना

मैं मदिरा में खेल रहा हूँ
टूट गया जब से पैमाना

भीड़ उसे नायक समझेगी
जिसको आता हो चिल्लाना

यादों के विषधर डस लेंगे
मत खोलो दिल का तहखाना

सीने में दिल रखना ‘सज्जन’
अपना हो या हो बेगाना

2 टिप्‍पणियां:

जो मन में आ रहा है कह डालिए।