बह्र : २२ २२ २२ २२
जीवन भर ख़ुद को दुहराना
इससे अच्छा है मर जाना
मैं मदिरा में खेल रहा हूँ
टूट गया जब से पैमाना
भीड़ उसे नायक समझेगी
जिसको आता हो चिल्लाना
यादों के विषधर डस लेंगे
मत खोलो दिल का तहखाना
सीने में दिल रखना ‘सज्जन’
अपना हो या हो बेगाना
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
Yeah that’s nice poem everyone like this .
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जनाब
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