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बुधवार, 23 दिसंबर 2015

ग़ज़ल : हर बार उन्हें आप ने सुल्तान बनाया

बह्र : २२११ २२११ २२११ २२

ये झूठ है अल्लाह ने इंसान बनाया
सच ये है के आदम ने ही भगवान बनाया

करनी है परश्तिश तो करो उनकी जिन्होंने
जीना यहाँ धरती पे है आसान बनाया

जैसे वो चुनावों में हैं जनता को बनाते
पंडों ने तुम्हें वैसे ही जजमान बनाया

मज़लूम कहीं घोंट न दें रब की ही गर्दन
मुल्ला ने यही सोच के शैतान बनाया

सब आपके हाथों में है ये भ्रम नहीं टूटे
यह सोच के हुक्काम ने मतदान बनाया

हर बार वो नौकर का इलेक्शन ही लड़े पर
हर बार उन्हें आप ने सुल्तान बनाया

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