हर आने जाने वाले पर
भौंक रहे कुत्ते
निर्बल को दौड़ा लेने में
मज़ा मिले जब, तो
क्यों ये भौंक रहे हैं, इससे
क्या मतलब इनको
अब हल्की सी आहट पर भी
चौंक रहे कुत्ते
हर गाड़ी का पीछा करते
सदा बिना मतलब
कई मिसालें बनीं, न जाने
ये सुधरेंगे कब
राजनीति, गौ की चरबी में
छौंक रहे कुत्ते
गर्मी इनसे सहन न होती
फिर भी ये हरदम
करते हरे भरे पेड़ों से
बातें बहुत गरम
हाँफ-हाँफ नफ़रत की भट्ठी
धौंक रहे कुत्ते
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
जवाब देंहटाएंडायनामिक
सुन्दर रचना
शुक्रिया
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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