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शनिवार, 8 अगस्त 2015

ग़ज़ल : दुश्मनी हो जाएगी यदि सच कहूँगा मैं

बह्र : २१२२ २१२२ २१२२ २

दुश्मनी हो जाएगी यदि सच कहूँगा मैं
झूठ बोलूँगा नहीं सो चुप रहूँगा मैं

आप चाहें या न चाहें आप के दिल में
जब तलक मरज़ी मेरी तब तक रहूँगा मैं

बात वो करते बहुत कहते नहीं कुछ भी
इस तरह की बेरुख़ी कब तक सहूँगा मैं

तेज़ बहती धार के विपरीत तैरूँगा
प्यार से बहने लगी तो सँग बहूँगा मैं

सिर्फ़ सुनते जाइये तारीफ़ मत कीजै
कीजिएगा इस जहाँ में जब न हूँगा मैं

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