बह्र : २१२२ १२१२ २२
उनकी आँखों में झील सा कुछ है
बाकी आँखों में चील सा कुछ है
सुन्न पड़ता है अंग अंग मेरा
उनके होंठों में ईल सा कुछ है
फैसले ख़ुद-ब-ख़ुद बदलते हैं
उनका चेहरा अपील सा कुछ है
हार जाते हैं लोग दिल अकसर
हुस्न उनका दलील सा कुछ है
ज्यूँ अँधेरा हुआ, हुईं रोशन
उनकी यादों में रील सा कुछ है
Sundar............
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मनोज कुमार साहब
हटाएंअति सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जनाब
हटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ओंकार जी
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