बह्र : २२ २२ २२ २
पैसा जिसे बनाता है
उसको समय मिटाता है
यहाँ वही बच पाता है
जिसको समय बचाता है
चढ़ना सीख न पाया जो
कच्चे आम गिराता है
रोता तो वो कभी नहीं
आँसू बहुत बहाता है
बच्चा है वो, छोड़ो भी
जो झुनझुना बजाता है
चतुर वही इस जग में, जो
सबको मूर्ख बनाता है
Very Nice Poem Sir...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मनोज जी
हटाएंआपकी वेबसाइट पर की लगबग सभी गजलें, दोहे पढ़े, सभी एक से बढकर एक हे.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जनाब
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