बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २
जैसे मछली की हड्डी खाने वाले को काँटा है
वैसे मज़लूमों का साहस पूँजीपथ का रोड़ा है
सारे झूट्ठे जान गए हैं धीरे धीरे ये मंतर
जिसकी नौटंकी अच्छी हो अब तो वो ही सच्चा है
चुँधियाई आँखों को पहले जैसा तो हो जाने दो
देखोगे ख़ुद लाखों के कपड़ों में राजा नंगा है
खून हमारा कैसे खौलेगा पूँजी के आगे जब
इसमें घुला नमक है जो उसका उत्पादक टाटा है
छोड़ रवायत भेद सभी का खोल रहे हैं ‘सज्जन’ जी
जल्दी ही अब इनका भी कारागृह जाना पक्का है
सारे झूट्ठे जान गए हैं धीरे धीरे ये मंतर
जवाब देंहटाएंजिसकी नौटंकी अच्छी हो अब तो वो ही सच्चा है
बहत ही लाजवाब ... हर शेर गहरा कटाक्ष है आज के माहोल पर ...
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय नासवा जी
हटाएंबढ़िया ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सु-मन जी
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