बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२
जीवन से लड़कर लौटेंगे सो जाएँगे
लपटों की नाज़ुक बाँहों में खो जाएँगे
द्वार किसी के बिना बुलाए क्यूँ जाएँ हम
ईश्वर का न्योता आएगा तो जाएँगे
कई पीढ़ियाँ इसके मीठे फल खाएँगी
बीज मुहब्बत के गर हम तुम बो जाएँगे
चमक दिखाने की ज़ल्दी है अंगारों को
अब ये तेज़ी से जलकर गुम हो जाएँगे
काम हमारा है गति के ख़तरे बतलाना
जिनको जल्दी जाना ही है, वो जाएँगे
Sir aapke article mujhe bahaut aache lagte hain aur mein to aapka FAN hi ho gaya hun, keep the good work up always. I like u most for your efforts for the benefit of all. Its the best social service you the doing Sir. Mein time to time aapki website visit karta hun to make my mind healthy and strong. Thank you sir.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत बढ़िया ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ओंकार जी
हटाएं