बह्र : २२ २२ २२ २
शास्त्र पढ़े विज्ञान पढ़ा
कब तुमने इंसान पढ़ा
बस उसका गुणगान पढ़ा
कब तुमने भगवान पढ़ा
गीता पढ़ी कुरान पढ़ा
कब तुमने ईमान पढ़ा
कब संतान पढ़ा तुमने
बस झूठा सम्मान पढ़ा
जिनके थे विश्वास अलग
उन सबको शैतान पढ़ा
जिसने सच बोला तुमसे
उसको ही हैवान पढ़ा
सूरज निगला जिस जिस ने
उस उस को हनुमान पढ़ा
बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया मदन सक्सेना जी
हटाएंवाह गज़ब की ग़ज़ल ... हर शेर ढेरों प्रश्न खड़े करता ... लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंतह-द-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ नास्वा जी
हटाएंबहुत खूबसूरत पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
बहुत बहुत शुक्रिया मनोज जी
हटाएंअलग सी ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया ओंकार जी
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