बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २
रोज़ बदलती इस दुनिया में जो रुक जाता है
तन से मन से रिसते रिसते वो चुक जाता है
आँधी आती है तो जान बचाने की ख़ातिर
जो जितना ऊँचा उतनी जल्दी झुक जाता है
दो के झगड़े में होता नुकसान तीसरे का
आँखें लड़ती हैं आपस में दिल ठुक जाता है
अपने ही देते हैं सबसे ज़्यादा दर्द हमें
चमड़ी के दिल तक चमड़े का चाबुक जाता है
माँ, पत्नी अब साथ नहीं रह सकती हैं ‘सज्जन’
भाव मिले जीवन-कविता में तो तुक जाता है
एक अलग एहसास
जवाब देंहटाएंधन्यवाद डॉक्टर साहब
हटाएंअपने ही देते हैं सबसे ज़्यादा दर्द हमें
जवाब देंहटाएंचमड़ी के दिल तक चमड़े का चाबुक जाता है ..
कितना सच कह गए इस एक शेर में ही ... बहुत उम्दा ...
शुक्रिया नास्वा जी
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