चित्र : चुम्बन (पाब्लो पिकासो)
हमारे होंठ हमारा प्यार हैं
खाते समय कभी न कभी
होंठ कट ही जाते हैं
शुक्र है कि लार
में जीवित नहीं रह पाते सड़न पैदा करने वाले विषाणु
इसलिए होंठों पर लगे घाव जल्दी भर जाते हैं
क्रमिक विकास में
हमने
होंठों को बचा कर
रखना सीख लिया है
कितनी सारी ग़ज़लें
जबरन कहे गए मत्ले के साथ जीती हैं
कितने सारे मत्ले
भर्ती के अश’आर संग निबाहते हैं
मुकम्मल ग़ज़लें
दुनियाँ में होती ही कितनी हैं
हमारा प्यार
मुकम्मल ग़ज़ल हो
मैंने इतनी बड़ी
ख़्वाहिश कभी नहीं की
बस एक शे’र ऐसा हो
जिसे दुनिया अपने
दिल-ओ-दिमाग से निकाल न
सके
जिसका मिसरा-ए-ऊला मैं होऊँ और
मिसरा-ए-सानी तुम
तुम्हारा जिस्म एक
भूलभुलैया है
हर बार तुम्हारी
आत्मा तक पहुँचते पहुँचते मैं राह भटक जाता हूँ
तुम्हारे हाथों पर
किसी और की लगाई मेरे नाम की मेंहदी नहीं हूँ मैं
जिसे चार कपड़े और
चार बर्तन, चार दिन में हमेशा के लिए मिटा देंगे
मैं तुम्हारी आत्मा
की तलाश में निकला वो मुसाफिर हूँ
जो कभी अपनी मंजिल
तक नहीं पहुँच पाएगा
लेकिन ये जानते हुए
भी तुम्हारी आत्मा हमेशा जिसका इंतजार करेगी
तुमको छू कर आता
हुआ प्रकाश
मेरी आँख का पानी
है
बादल आँसू बहाते
हैं और रेगिस्तान रोता है
रोने वालों की
आँखें अक्सर सूखी रहती हैं
आँसू बहाने वाले
अक्सर रोते नहीं
तुमको सोते हुए
देखना
तुममें घुलना है
कपड़े तुम्हारे जिस्म से उतरते ही मर जाते
हैं
साँस तुम्हारे जिस्म से निकलते ही भभक
उठती है
चूड़ियाँ तुम्हारे हाथों से निकलकर गूँगी
हो जाती हैं
तुम गहने पहनना छोड़ दो तो क्या इस्तेमाल
रह जाएगा अनमोल पत्थरों का
तुम न होती तो पुरुष अपने झूठे अहंकार के
लिए लड़ भिड़ कर कब का खत्म हो गए होते
तुम्हारे छूने भर से बेजुबान चीजें
गुनगुनाने लगती हैं
जीवन तुम्हारी छुवन में है
ईश्वर तक पहुँचने
के रास्ते का एकमात्र द्वार तुम्हारे दिल में है
तुम्हारे दिल तक पहुँचने के रास्ते में ढेर सारे मंदिर,
मस्जिद,
धर्मग्रंथ,
धर्मगुरु
“ईश्वर
ले लो, ईश्वर
ले लो, सस्ता
सुंदर और टिकाऊ ईश्वर ले लो” की आवाज लगाते रहते हैं
“नारी
नरक का द्वार है” मानव इतिहास का सबसे भयानक झूठ
है
हर शिव ये जानता है
कि कामदेव के बिना सृष्टि का चलना असंभव है
किंतु हर शिव
कामदेव को भस्म करने का नाटक रचता है
परिणाम?
कामदेव अदृश्य और
अजेय हो कर वापस आता है
एक गाँव में किसी
घर के पिछवाड़े एक कुआँ था। न जाने कौन घर की चीजें जैसे कपड़े, खाना
इत्यादि ले जाकर कुएँ में डाल देता था। सब खोज खोजकर
हार गए लेकिन कारण का पता नहीं चला। अंत में सबने मान लिया कि उस कुएँ में कोई भूत
रहता है। कई भूत भगाने वाले बुलाये गये पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा। कुछ सालों बाद
घरवालों ने वो कुआँ ही बंद करवा दिया। ये प्रेत कथा उस गाँव के लोग तरह तरह से
सुनते सुनाते थे और बच्चों को डराते थे। पर उस गाँव की एक औरत ऐसी थी जो इस
कहानी का सच जानती थी। दर’असल जिस
घर के पिछवाड़े वो कुआँ था उस घर की एक लड़की
गाँव के ही एक लड़के से प्रेम करती थी। जब घर वालों को पता चला तो उन्होंने
लड़की का घर से निकलना बंद करवा दिया और लड़के को बहुत मारा पीटा। लेकिन प्रेम फिर भी बढ़ता
गया और उसके साथ ही बढ़ते गए घर वालों के अत्याचार। तंग आकर लड़की ने उसी कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी। लड़की की माँ को लगता
था कि अकाल मृत्यु मरने के कारण उसकी बेटी की आत्मा कुएँ में भटकती रहती है इसलिए
वो सबसे छुपाकर उसके लिए जब तब कपड़े, खाना और अन्य जरूरत के सामान उस कुएँ में
डाल आती थी।
प्रेत कथाएँ दर’असल विकृत प्रेम कथाएँ है। प्रेत कथाओं पर यकीन मत करना।
जैसे नाभिक का सारा
आकर्षण अर्थहीन है इलेक्ट्रान के बिना
जैसे सूर्य का सारा
प्रकाश बेमतलब है धरती के बिना
जैसे ये ब्रह्मांड
निरर्थक है इंसान के बिना
वैसे ही मेरे होने
का कोई मतलब नहीं है
तुम्हारे प्रेम
के बिना
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