रेशमी परों वाली तितलियाँ हँसती हैं
और आवाज़ के रंग बिरंगे फूलों से
बगीचा महक उठता है
रेशम को दबाकर रखोगे
तो केवल उसकी कोमलता के बारे में जान पाओगे
कभी खींच कर देखना
रेशम स्टील से ज्यादा मज़बूत होता है
कोठियों की तो घास भी रेशम जैसी होती है
रेशम पहनने वाले नहीं जानते
कि इसे रेशम के कीड़ों ने अपनी सुरक्षा के लिए बुना
था
और इसी को पाने के लिए
हज़ारों मेहनतकश कीड़ों को उबाल कर मार डाला गया
रेशम उतना ही पुराना है जितना सबसे पुराना
धर्मग्रन्थ
इसीलिए ईश्वर रेशमी कपड़े पहनता है
और धर्मग्रन्थों में रेशम पहनने को पाप नहीं माना जाता
मन को सन्नाटे में ले जाकर, बहुत कुछ सोचने को मजबूर छोड़ जाने वाली रचना ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संदेश जी
हटाएंसुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मनोज जी
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सु..मन जी
हटाएंशुक्रिया आशीष जी
जवाब देंहटाएंatyant sundar likha hi.....saty hai ye
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनामिका जी
हटाएंकमाल की रचना
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ओंकार जी
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