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सोमवार, 18 अगस्त 2014

अनुवाद : टोमास ट्रांसट्रोमर की कविता ‘खुले और बंद कमरे’

आदमी दुनिया को अपने काम के दस्ताने से महसूस करता है

मध्याह्न में वो थोड़ी देर के लिए आराम करता है

अपने दस्तानों को ताक पर रखकर

जहाँ वो अचानक बड़े होकर फैलने लगते हैं

और पूरे घर को भीतर से अंधकारमय कर देते हैं

 

अंधकारमय घर वसंत की बयार के बीच बीच में पड़ते हैं

‘आम माफ़ी’ घास फुसफुसाती है ‘आम माफ़ी’

एक लड़का पूरी ताकत से दौड़ता है उस अदृश्य रस्सी पर जो झुकी है

आकाश की ओर

जहाँ उसके भविष्य का सुनहरा स्पप्न उड़ रहा है एक पतंग की तरह

जो किसी कस्बे से भी बड़ी है

 

और उत्तर दिशा में ऊँचाई से आप देख सकते हैं अंतहीन नीला

मुलायम लकड़ी का कालीन

जहाँ बादलों की छाँव

स्थिर है

नहीं, आगे बढ़ रही है

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मूल कविता निम्नवत है।

Öppna och slutna rum

En man känner på världen med yrket som en handske.
Han vilar en stund mitt på dagen och har lagt ifrån sig
handskarna på hyllan.
Där växer de plötsligt, breder ut sig
och mörklägger hela huset inifrån.

Det mörklagda huset är mitt ute bland vårvindarna.
»Amnesti« går viskningen i gräset: »amnesti«.
En pojke springer med en osynlig lina som går snett
upp i himlen
där hans vilda dröm om framtiden flyger som en drake
större än förstaden. Längre norrut ser man från en höjd den blå oändliga
barrskogsmattan
där molnskuggorna
står stilla.
Nej, flyger fram.

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