निराशा और चिन्ता अपना अपना काम छोड़ देती हैं
गिद्ध अपनी उड़ान छोड़ देता है
गिद्ध अपनी उड़ान छोड़ देता है
आतुर प्रकाश बह निकलता है
प्रेत भी एक घूँट पी लेते हैं
और दिन में हमारे चित्रों में मौजूद
हिमयुगीन स्टूडियो के हमारे लाल जानवर
हर चीज अपने आसपास देखना शुरू करती है
हम सैकड़ों बार धूप में जाते हैं
हर आदमी अधखुला दरवाजा है
जो हर आदमी को उसके लिए बने एक कमरे में ले जाता है
हम सैकड़ों बार धूप में जाते हैं
हर आदमी अधखुला दरवाजा है
जो हर आदमी को उसके लिए बने एक कमरे में ले जाता है
हमारे पैरों के नीचे अनंत तक फैला मैदान है
झील पृथ्वी में एक खिड़की है
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मूल कविता निम्नवत है।
Den halvfärdiga himlen
Modlösheten avbryter sitt lopp.
Ångesten avbryter sitt lopp.
Gamen avbryter sin flykt.
Det ivriga ljuset rinner fram,
även spökena tar sig en klunk.
Och våra målningar kommer i dagen,
våra istidsateljéers röda djur.
Allting börjar se sig omkring.
Vi går i solen hundratals.
Var människa en halvöppen dörr
som leder till ett rum för alla.
Den oändliga marken under oss.
Vattnet lyser mellan träden.
Insjön är ett fönster mot jorden.
बहुत खूब ... अच्छा संवाद है ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नासवा जी
हटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज गुरुवारीय चर्चा मंच पर ।। आइये जरूर-
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रविकर जी
हटाएंउम्दा और बेहतरीन... आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
शुक्रिया चतुर्वेदी जी
हटाएंआप को भी स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई
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