पृष्ठ

सोमवार, 21 जुलाई 2014

ग़ज़ल : ज्ञान थोड़ा बयान ज़्यादा है

आजकल ये रुझान ज़्यादा है
ज्ञान थोड़ा बयान ज़्यादा है

है मिलावट, फ़रेब, लूट यहाँ
धर्म कम है दुकान ज्यादा है

चोट दिल पर लगी, चलो, लेकिन
देश अब सावधान ज़्यादा है

दूध पानी से मिल गया जब से
झाग थोड़ा उफ़ान ज़्यादा है

पाँव भर ही ज़मीं मिली मुझको
पर मेरा आसमान ज़्यादा है

ये नई राजनीति है ‘सज्जन’
काम थोड़ा बखान ज़्यादा है

1 टिप्पणी:

जो मन में आ रहा है कह डालिए।