जाल
सहरा पे डाले गए
यूँ
समंदर खँगाले गए
रेत
में धर पकड़ सीपियाँ
मीन
सारी बचा ले गए
जो
जमीं ले गए हैं वही
सूर्य,
बादल,
हवा
ले गए
सर
उन्हीं के बचे हैं यहाँ
वक्त
पर जो झुका ले गए
मैं
चला जब तो चलता गया
फूट
कर खुद ही छाले गए
जानवर
बन गए क्या हुआ
धर्म
अपना बचा ले गए
खुद
को मालिक समझते थे वो
अंत
में जो निकाले गए
सर उन्हीं के बचे हैं यहाँ
जवाब देंहटाएंवक्त पर जो झुका ले गए ...
छोटी बहार की लाजवाब ग़ज़ल ... हर शेर कमाल का ... दिल में सीधे उतरता हुआ ...
बहुत बढ़िया
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