यकीनन
ग्रेविटॉन जैसा ही होता है
प्रेम का कण
तभी तो ये
दोनों मोड़ देते हैं दिक्काल
के धागों से बुनी चादर
कम कर देते
हैं समय की गति
इन्हें कैद
करके नहीं रख पातीं स्थान और
समय की विमाएँ
ये रिसते
रहते हैं एक ब्रह्मांड से
दूसरे ब्रह्मांड में
ले जाते हैं
आकर्षण उन स्थानों तक
जहाँ कवि
की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती
अब तक किये
गये सारे प्रयोग
असफल रहे
इन दोनों का कोई प्रत्यक्ष
प्रमाण खोज पाने में
लेकिन
ब्रह्मांड का कण कण इनको महसूस
करता है
यकीनन
ग्रेविटॉन जैसा ही होता है
प्रेम का कण
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