पृष्ठ

बुधवार, 26 मार्च 2014

कविता : कालजयी कचरा

ध्यान से देखो
वो पॉलीथीन जैसी रचना है
हल्की, पतली, पारदर्शी

पॉलीथीन में उपस्थित परमाणुओं की तरह
उस रचना के शब्द भी वही हैं
जो अत्यन्त विस्फोटक और ज्वलनशील वाक्यों में होते हैं

वो रचना
किसी बाजारू विचार को
घर घर तक पहुँचाने के लिए इस्तेमाल की जायेगी

उस पर बेअसर साबित होंगे आलोचना के अम्ल और क्षार
समय जैसा पारखी भी धोखा खा जाएगा
प्रकृति की सारी विनाशकारी शक्तियाँ मिलकर भी
उसे नष्ट नहीं कर सकेंगी

वो पॉलीथीन जैसी रचना
एक दिन कालजयी कचरा बन जाएगी
और सामाजिक पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाएगी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

जो मन में आ रहा है कह डालिए।