बह्र : २१२२ १२१२ २२
झूठ में कोई दम नहीं होता
सत्य लेकिन हज़म नहीं होता
अश्क बहना ही कम नहीं होता
दर्द, माँ
की कसम नहीं होता
मैं अदम* से अगर न टकराता
आज खुद भी अदम नहीं होता
दर्द-ए-दिल की दवा जो रखते हैं
उनके दिल में रहम नहीं होता
शे’र में बात अपनी कह देते
आपका सर कलम नहीं होता
*अदम = शून्य, अदम
गोंडवी
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