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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

नवगीत : बस प्यार तुम्हारा

घूमूँगा बस प्यार तुम्हारा
तन मन पर पहने
पड़े रहेंगे बंद कहीं पर
शादी के गहने

चिल्लाते हैं गाजे बाजे
चीख रहे हैं बम
जेनरेटर करता है बक बक
नाच रही है रम

गली मुहल्ले मजबूरी में
लगे शोर सहने

सब को खुश रखने की खातिर
नींद चैन त्यागे
देहरी, आँगन, छत, कमरे सब
लगातार जागे

कौन रुकेगा, दो दिन इनसे
सुख दुख की कहने

शालिग्राम जी सर पर बैठे
पैरों पड़ी महावर
दोनों ही उत्सव की शोभा
फिर क्यूँ इतना अंतर

मैं खुश हूँ, यूँ ही आँखो से
दर्द लगा बहने

सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

मेरी पहली किताब ‘ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर’ का विमोचन

आप सबको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मेरी पहली किताब ‘ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर’ का विमोचन दिनांक 22-02-2014 को सत्य प्रकाश मिश्र सभागार, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केन्द्र, इलाहाबाद में हुआ। समारोह की तस्वीरें निम्नवत  हैं। जिन मित्रों को ये ग़ज़ल संग्रह चाहिए वे कृपया अपना डाक का पता मुझे [email protected] पर भेज दें।