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रस्ते में
जिस्म आया मंजिल तलक न पहुँचे
आँखों
में जो न उतरे वो दिल तलक न
पहुँचे
मंजिल
मिली जिन्हें भी मँझधार में,
उन्हीं
पर
कसता
जहान ताना,
साहिल
तलक न पहुँचे
जो
पिस गये वो चमके हाथों की बन
के मेंहदी
यूँ
तो मिटेंगे वे भी जो सिल तलक
न पहुँचे
मैं
चाहता हूँ उसकी नज़रों से कत्ल
होना
पर
बात ये जरा सी कातिल तलक न
पहुँचे
घटता
है आज गर तो कल बढ़ भी जायेगा,
पर
जानम
ये प्यार अपना बस निल तलक न
पहुँचे
kya baat hai dear .............nice...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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