बह्र : २१२२ १२१२ २२
याँ जो बंदे ज़हीन होते हैं
क्यूँ
वो अक्सर मशीन होते हैं
बीतना चाहते हैं कुछ लम्हे
और हम हैं घड़ी न होते हैं
प्रेम के वो न
टूटते धागे
जिनके
रेशे महीन होते हैं
वन
में उगने से,
वन
में रहने से
पेड़
सब जंगली न होते हैं
उनको
जिस दिन मैं देख लेता हूँ
रात
सपने हसीन होते हैं
खट्टे मीठे घुले कई लम्हे
यूँ नयन शर्बती न होते हैं