बह्र
: २२१ २१२१ १२२१ २१२
-------------
सत्ता
की गर हो चाह तो दंगा कराइये
बनना
हो बादशाह तो दंगा कराइये
करवा
के कत्ल-ए-आम बुझा कर लहू से प्यास
रहना
हो बेगुनाह तो दंगा कराइये
कितना
चलेगा धर्म का मुद्दा चुनाव में
पानी
हो इसकी थाह तो दंगा कराइये
चलते
हैं सर झुका के जो उनकी जरा भी गर
उठने
लगे निगाह तो दंगा कराइये
प्रियदर्शिनी
करें तो उन्हें राजपाट दें
रधिया
करे निकाह तो दंगा कराइये
मज़हब
की रौशनी में व शासन की छाँव में
करना
हो कुछ सियाह तो दंगा कराइये
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - सोमवार - 16/09/2013 को
जवाब देंहटाएंकानून और दंड - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः19 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
latest post कानून और दंड
atest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
कितना चलेगा धर्म का मुद्दा चुनाव में
जवाब देंहटाएंपानी हो इसकी थाह तो दंगा कराइये ..
काश इस मुद्दे की थाह कोई भी न पाना चाहे ...
लाजवाब ओर गहरा अर्थ लिए नायाब शेरों से सजी गज़ल है धर्मेन्द्र जी ...