बहर : २१२ २१२
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जो सरल हो गये
जो सरल हो गये
वो सफल हो गये
जिंदगी द्यूत थी
हम रमल हो गये
टालते टालते
वो अटल हो गये
देख कमजोर को
सब सबल हो गये
भैंस गुस्से में थी
हम अकल हो गये
जो गिरे कीच में
वो कमल हो गये
अपने दिल से हमीं
बेदखल हो गये
देखकर आइना
वो बगल हो गये
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