मंगलवार, 9 जुलाई 2013

ग़ज़ल : जो सरल हो गये

बहर : २१२ २१२
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जो सरल हो गये
वो सफल हो गये

जिंदगी द्यूत थी
हम रमल हो गये

टालते टालते
वो अटल हो गये

देख कमजोर को
सब सबल हो गये

भैंस गुस्से में थी
हम अकल हो गये

जो गिरे कीच में
वो कमल हो गये

अपने दिल से हमीं
बेदखल हो गये

देखकर आइना
वो बगल हो गये

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