ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर कारखानों पर
ये फन वरना मिलेगा जल्द रद्दी की दुकानों पर
कलन कहता रहा संभावना सब पर बराबर
है
हमेशा बिजलियाँ गिरती रहीं कच्चे
मकानों पर
लड़ाकू जेट उड़ाये खूब हमने रातदिन लेकिन
कभी पहरा लगा पाये न गिद्धों की उड़ानों पर
सभी का हक है जंगल पे कहा खरगोश ने
जबसे
तभी से शेर, चीते, लोमड़ी बैठे
मचानों पर
कहा सबने बनेगा एक दिन ये देश नंबर
वन
नतीजा देखकर मुझको हँसी आई रुझानों
पर
satik katakhs.....ati uttam
जवाब देंहटाएंअभी तक ही बहुत कुछ कह दिया है आपने,
जवाब देंहटाएंअभी आगे न जाने क्या-क्या और निकलता है।
- डा0 आर0 बी0 सिंह
लाजवाब सज्जन जी इस गज़ल को पढ़ने बाद क्रांतिकारी कवियों गजलें याद अ जाती हैं ... हर शेर आज की जरूरत ...
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