राजमहल ये
हड्डी के खंभों पर लटका राजमहल है
इसके भीतर
भाँति भाँति के राजा रानी ऐंठे बैठे
रोटी कहकर माँ की बोटी तोड़ रहे हैं
इसी महल के बाहर ढेरों ढेर हड्डियाँ
वफ़ादार कुत्ते सब खूब भँभोड़ रहे हैं
चारण सारे खड़े द्वार पर गीत गा रहे
बदले में भूषण, आभूषण रोज पा रहे
विद्रोही के पाँव तोड़कर
प्रजा खड़ी है हाथ जोड़कर
राजा ईश्वर का वंशज है धर्मग्रंथ में कहा गया था
राजा का वंशज ईश्वर है यही समझ सब सर झुका रहे
आ पहुँचा जासूस विदेशी व्यापारी के कपड़े पहने
नंगे भूखे अखिल विश्व के बाजारों का ज्ञान पा रहे
ईश्वर बैठा सोच रहा है
अब अवतार मुझे लेना है
पर हथियार कौन सा लूँ मैं
अणु बम तक ये खोज चुके हैं
ईश्वर की पत्नी बोलीं प्रभु चद्दर तानें
खुद ही खुद को भस्म करेंगे ये परवाने
आपके व्यंग्य में धार है तो हास्य में मस्ती भी...
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