बादल की तरह बरसो
आखिरी बूँद तक
धरती की तरह भीगो
भीतर तक
पर्वत की तरह त्याग दो
कमजोर हिस्सा
नदी की तरह बँधो
उजाला फैलाओ
पुल की तरह बिछो
खाइयाँ मिटा दो
पानी की तरह बहो
जिसे छुओ हरा कर दो
सूरज की तरह जलो
किसी का संसार रोशन करने के लिए
पेड़ की तरह जियो
पेड़ की तरह मरो
कि तुम्हारा जीना मरना दोनों इंसानियत के काम आए
और अगर कुछ न कर सको
तो पड़े रहो कूड़े की तरह
समय तुम्हें सड़ाकर खाद बना देगा
उन्हें उगाने के लिए
जो कुछ कर सकते हैं
बहुत प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar wa prerna dayi.....goooooooood
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना...
:-)