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बुधवार, 14 नवंबर 2012

ग़ज़ल : आ मेरे पास तेरे लब पे जहर बाकी है


रह गया ठूँठ, कहाँ अब वो शजर बाकी है
अब तो शोलों को ही होनी ये खबर बाकी है

है चुभन तेज बड़ी, रो नहीं सकता फिर भी
मेरी आँखों में कहीं रेत का घर बाकी है

रात कुछ ओस क्या मरुथल में गिरी, अब दिन भर
आँधियाँ आग की कहती हैं कसर बाकी है

तेरी आँखों के जजीरों पे ही दम टूटा गया
पार करना अभी जुल्फों का भँवर बाकी है

है बड़ा तेज कहीं तू भी न मर जाए सनम
आ मेरे पास तेरे लब पे जहर बाकी है

2 टिप्‍पणियां:

  1. तेरी आँखों के समंदर में ही दम टूट गया
    पार करना अभी जुल्फों का भँवर बाकी है

    Waah! Waah! Waah
    Bahut hi sundar

    जवाब देंहटाएं

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