शब्द तुम्हारे
प्रति मेरे प्रेम के अनंततम सूक्ष्म हिस्से को भी व्यक्त नहीं कर सकते
मेरे होंठों को
इजाजत दो
वो लिखेंगे तुम्हारी
त्वचा पर मेरे प्रेम की भूमिका
भाषा कोई भी हो
दो शब्दों के बीच
दूरी न हो तो वो अर्थहीन हो जाते हैं
ये तीन दूर दूर
बैठे शब्द क्या व्यक्त करेंगे प्रेम को
ये तो एक दूसरे
को छूने से भी डरते हैं
प्रेम तब भी था
जब शब्द नहीं थे
प्रेम वो भी करते
हैं जिनके पास शब्द नहीं होते
प्रेम का शब्दों
से कोई संबंध नहीं होता
तुमको छूकर मैं
अपने कुछ इलेक्ट्रॉन तुम्हें दे देता हूँ
और तुमसे
तुम्हारे कुछ इलेक्ट्रॉन ले लेता हूँ
इन्हीं
इलेक्ट्रॉनों पर लिखा होता है शब्दहीन प्रेम
बाकी सारे शब्द, सारे
वाक्य, सारी भाषाएँ, सारे अर्थ
बुद्धिमानों द्वारा
प्रेम के नाम पर छल करने के लिए बनाए गए हैं
सुनो! जरा सावधान
रहना
प्रेम के मामले
में कानों से नहीं त्वचा से सुनना