कविता पढ़ने के लिए उसे आँखों से सुनना पड़ता है और कविता सुनने के लिए उसे कानों से देखना पड़ता है।
- आक्टॉवियो पाज़
तो आइए और आँखों से सुनिए
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पेट्रोल में लगी हुई आग
मुझ तक नहीं पहुँचेगी
(सरकार / मेरी कंपनी मुझे पेट्रोल
की एक तय मात्रा का बाजार मूल्य देती है)
महँगाई की आँधी मुझ तक
पहुँचते पहुँचते शीतल झोंका बन जाएगी
(मेरी तनख्वाह बढ़ती
महँगाई के साथ बढ़ती है)
मेरे हिस्से की गर्मी से
मेरे देश का गरीब मरता है
(मेरा कार्यालय, मेरी
गाड़ी, मेरा घर सब वातानुकूलित हैं। जो अंदर का वातावरण ठंढा करने के बदले बाहर का
वातावरण और गर्म करते हैं।)
टोल बैरियर वाला मुझसे पैसे नहीं माँगता।
(कुछ दिन और आम आदमी से पैसे की उगाही कर लेगा)
बनिया मेरा घरेलू सामान मुफ़्त में दे जाता है।
(आम आदमी के घरेलू सामान में थोड़ी और मिलावट कर लेगा)
मेरे वो खर्चे जो मैं सबसे छुपाकर करता हूँ, सबसे छुपाकर एक
आदमी मुझे देता है। मेरे बारे में इतनी जानकारी आपको सूचना का अधिकार भी नहीं दिला
सकता।
मैं वातानुकूलित कमरे में बैठकर देश की आम जनता के दुख
दर्दों पर कविता / कहानी / लेख लिखता हूँ जिन्हें पत्रिकाएँ हाथों हाथ लेती हैं। गरीबों
का दुख देखकर अक्सर मेरा दिल करता है कि सारे अमीरों की चर्बी निकालकर गरीबों में
बाँट दूँ। दूसरे गाँधी की बातें सुनकर मेरा सर श्रद्धा से झुक जाता है। मैं रोज
सुबह ईश्वर से दुआ करता हूँ कि प्रभो इस देश से भ्रष्टाचार मिटा दो।
मैं इस देश के शीर्ष समाजवादी कवियों / लेखकों में गिना
जाता हूँ। मैं प्रथम श्रेणी का अधिकारी या उसके समकक्ष कुछ अथवा ऐसे अधिकारी का सगा संबंधी हूँ।