आज सारे राज खोने जा रहा हूँ
मैं बड़ा बदनाम होने जा रहा हूँ
एक तिनका याद का आकर गिरा है
मयकदे में आँख धोने जा रहा हूँ
बेवफ़ा के साथ सोता था अभी तक
मौत के अब संग सोने जा रहा हूँ
फिर बनाया बाप मुझको आज उसने
फिर उसी का बोझ ढोने जा रहा हूँ
भोर में मुझको डराकर ये जगा दें
इसलिए सपने सँजोने जा रहा हूँ
गुल खिलेंगे स्वर्ग में इनको बताकर
झुग्गियों में खार बोने जा रहा हूँ
रेप खुद के साथ मैंने फिर किया है
आइने के पास रोने जा रहा हूँ
wah sajjan ji ....bahut hi umda prastuti
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल...बहुत बहुत बधाई...
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