ज्या, कोज्या, स्पर्शज्या.....
कितने सारे वक्र एक एक करके जोड़ने पड़ते हैं
असंख्य समाकलन करने पड़ते हैं
सारे हिस्सों का सही क्षेत्रफल और आयतन निकालने के लिए
हवा के आवागमन के साथ
सारे गतिमान हिस्सों के सभी बिन्दुओं में परिवर्तन की दर
न जाने कितने फलनों के अवकलन से निकल पाती है
लाखों कैलोरी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है दिमाग को
तब कहीं जाकर ये तुम्हारा सजीव मॉडल बना पाता है
मेरे स्वप्न में
मेरे दिमाग को इस मेहनत का कुछ तो फल दो
थोड़ी देर तो मेरे स्वप्न में रहो
भावपूर्ण बढ़िया रचना ...
जवाब देंहटाएंWahh, what an imagination? Nice post. Thanks
हटाएंkya kahoon....kuchh bhi kahan kavita ke garima ko kam kar dega.....adbhut....unique
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